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Friday, July 25, 2025

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अडानी को बुलाया फिर विरोध किया, कांग्रेस की राजनीति में विरोधाभास, मनीष अग्रवाल..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अब अडानी के खिलाफ सड़कों पर है, लेकिन खुद उसके इतिहास पर सवाल उठने लगे हैं। ‘अडानी भगाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ’ का नारा देने वाले कांग्रेस नेताओं को अब यह बताना चाहिए कि अडानी को छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक की अनुमति आखिर किसने दी थी।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही अडानी को कोल खनन के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया गया था। केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब कोयला और पर्यावरण मंत्रालय ने पहले जिन इलाकों को ‘नो गो जोन’ माना था, बाद में उन्हीं क्षेत्रों को ‘गो जोन’ घोषित किया गया और खनन के रास्ते खोल दिए गए। 2011 में तारा परसा ईस्ट और कांटे बासन कोल ब्लॉक खोलने का प्रस्ताव सामने आया, उस समय छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें थीं।

अडानी को खदान संचालन की जिम्मेदारी देने का फैसला भी कांग्रेस सरकारों ने ही लिया। इसके बाद भी कांग्रेस का रुख नहीं बदला। 2019 से लेकर 2022 तक भूपेश बघेल सरकार ने कोल खदान के लिए पर्यावरण अनुमति दिलाने को लेकर केंद्र सरकार से कई बार पत्राचार किया और अनुबंध भी किया।

अब जब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो कांग्रेस शासनकाल के घोटालों की जांच कर रही है और कुछ नेताओं पर कार्रवाई हो रही है, तब कांग्रेस इसे बदले की कार्रवाई बताकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में कहते हैं कि उन्होंने अडानी के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर उन्हें निशाना बनाया गया।

सवाल उठता है कि जब खुद कांग्रेस की सरकार ने अडानी को न्योता देकर छत्तीसगढ़ में खनन की मंजूरी दी थी, तब ‘अडानी भगाओ’ का नारा कहां था? आज वही नेता जब जांच के घेरे में हैं, तो अडानी विरोध क्यों याद आ रहा है?

जनता जानना चाहती है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में इतना फर्क क्यों है। क्या यह विरोध सिर्फ राजनीति की पटकथा का हिस्सा है।

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