बिलासपुर। राजनांदगांव जिले में तलाक से जुड़े एक संवेदनशील मामले में हाईकोर्ट ने पत्नी पर लगाए गए मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आरोपों को खारिज करते हुए पति की अपील अस्वीकार कर दी है। इससे पहले फैमिली कोर्ट भी आरोपों को अस्वीकार कर चुकी थी।
रेलवे कर्मचारी पति ने कोर्ट में यह दावा किया था कि उसकी पत्नी उसे जबरन घरजमाई बनाकर रखना चाहती थी, जो उसे मंजूर नहीं था। लेकिन पत्नी ने जवाब में पति पर गंभीर आरोप लगाए। उसने कहा कि शादी के एक हफ्ते बाद से ही उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। बार-बार ‘गरीब’ कहकर अपमानित किया गया और मारपीट की गई।
पत्नी ने बताया कि पति शराब पीकर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने की कोशिश करता था, जिसके कारण पहले बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद पति ने उसे बच्चा पैदा करने लायक न मानते हुए मायके भेज दिया। परिवार की पहल पर सामाजिक बैठक में पति ने अपनी गलती मानी और पत्नी को फिर से घर ले आया, लेकिन उसका व्यवहार नहीं बदला।
गर्भावस्था के दौरान भी उस पर अमानवीय अत्याचार हुए, जिससे दूसरा बच्चा भी 10 दिन के भीतर दम तोड़ गया। इसके बाद पति ने उसे घर से निकाल दिया।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पति द्वारा लगाए गए आरोपों के कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसलिए अपील खारिज की जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से तलाक नहीं दिया जा सकता, जब तक कि उनके पीछे मजबूत प्रमाण न हों।