बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के दौरान बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना परोस दिया गया। मासूम बच्चों ने जब आपत्ति जताई, तो उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया और उन्हें वही खाना खाने के लिए मजबूर किया गया।
घटना के बाद बच्चों ने डर और घबराहट में अपने अभिभावकों को जानकारी दी। दबाव बढ़ने पर स्कूल प्रबंधन ने 84 में से 78 बच्चों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी। यह मामला जब मीडिया में सामने आया, तो छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसे खुद ही जनहित याचिका मानते हुए गंभीर रुख अपनाया।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से चार अहम बिंदुओं पर शपथ पत्र के जरिए जवाब मांगा है। कोर्ट ने साफ कहा “बच्चों का भोजन कोई औपचारिकता नहीं, यह गरिमा और जिम्मेदारी का विषय है। कुत्ते का जूठा भोजन परोसना न सिर्फ लापरवाही, बल्कि बच्चों की जान को खतरे में डालना है।”
हाईकोर्ट ने इस घटना को प्रशासन की गंभीर विफलता और अमानवीय कृत्य करार दिया है। साथ ही यह भी पूछा गया कि इस घटना में शामिल शिक्षकों और महिला समूह पर क्या कार्रवाई हुई और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी। पूरे राज्य में इस घटना को लेकर नाराजगी और चिंता का माहौल है।