बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की आशा और मितानिन कार्यकर्ता महिलाओं ने बुधवार को अपनी 16 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया। बड़ी संख्या में जुटीं इन महिलाओं ने कहा कि वे गांव-गांव, घर-घर जाकर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का काम करती हैं, लेकिन सरकार उनकी मेहनत की कोई कदर नहीं कर रही।
प्रदर्शन कर रहीं मितानिनों ने बताया कि कोरोना महामारी के समय उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की मदद की थी। उस दौरान सरकार ने हर मितानिन को हर महीने 1000 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन आज तक उन्हें वह राशि नहीं मिली है। इससे उन्हें आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है। नारों और तख्तियों के साथ सड़कों पर उतरीं इन महिलाओं की आंखों में आक्रोश था और जुबां पर एक ही सवाल, “हमारे हक की कीमत कब चुकाएगी सरकार”
हड़ताली महिलाओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि उनकी सभी 16 मांगों पर सरकार तुरंत ध्यान दे और उचित कदम उठाए, ताकि वे सम्मान के साथ अपना जीवन चला सकें। आगे उन्होंने बताया कि आशा-मितानिन स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन सरकार उनकी आवाज नहीं सुन रही। अब वे अपने हक के लिए सड़क पर उतर चुकी हैं।आशा दीदियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन शुरू करेंगी।
क्या हैं इनकी मुख्य मांगे…
हर महीने 10,000 मानदेय राशि का नियमित भुगतान।
बीमा, पेंशन और मातृत्व लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा अधिकार।
स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा।
कार्य के घंटे और जिम्मेदारियों को तय करना।
राज्यांश 75% से बढ़कर 100% किया जाए।
दावापत्र प्रोत्साहन राशि पिछले कई वर्षों से यथावत बनी हुई है इसे कम से कम दो गुना किया जाए।