पुरातन बांस गीत परंपरा को नई ऊर्जा, कलाकारों ने वीर लोरिक से लेकर आधुनिक प्रसंगों तक दी शानदार प्रस्तुतियाँ।
बिलासपुर। बिलासपुर में रविवार को बांस गीत-गाथा अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य बांस गीत-गाथा समारोह ने इतिहास रच दिया। इस आयोजन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए 150 से अधिक बांस गायक, वादक और सहयोगी कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति दी। पारंपरिक बांस गीत और वादन की यह सामूहिक प्रस्तुति छत्तीसगढ़ में पहली बार हुई, जिसे देखकर श्रोता उत्साह से झूम उठे। कार्यक्रम पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में दोपहर 2 बजे शुरू होकर देर रात तक चलता रहा।
समारोह के मुख्य अतिथि बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि बांस गीत केवल कला नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान है। उन्होंने इस पहल को संस्कृति संरक्षण का मील का पत्थर बताया और ऐसे आयोजनों को लगातार जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि पद्मश्री फूलबासन यादव ने रिकॉर्ड बनाने वाले कलाकारों के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर बांस कलाकारों को एक जगह देखना गर्व की बात है। उन्होंने आयोजन के लिए डॉ. सोमनाथ यादव की सराहना की।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महापौर रामशरण यादव ने बताया कि अकादमी पिछले दस वर्षों से गांव-गांव जाकर बांस कलाकारों को मंच दे रही है, जिससे यह लोकपरंपरा फिर से जीवंत हो रही है।
अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ यादव ने कहा कि बांस गीत छत्तीसगढ़ की पुरातन वाचिक परंपरा है, जो सरकारी और सामाजिक संरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। यह कला केवल छत्तीसगढ़ में ही जीवित है। उन्होंने मांग की कि जैसे अन्य लोक कलाओं को सरकारी मंच मिलते हैं, वैसे ही बांस गीत कलाकारों को भी अवसर प्रदान किया जाए ताकि युवा पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ाए।

कार्यक्रम में बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, बलौदाबाज़ार, कबीरधाम, बेमेतरा, कोरबा, पेंड्रा समेत कई जिलों के कलाकार शामिल हुए। शुरुआत वीर लोरिक प्रसंग से हुई, जिसमें सभी 150 कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति दी। इसके बाद 40 अलग-अलग दलों ने विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रसंगों पर आधारित प्रस्तुतियाँ दीं।
समारोह में कई रावत नृत्य दल और समाजसेवी श्रीराम यादव मुंगेली सहित कई अतिथियों का शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोमनाथ यादव ने और आभार प्रदर्शन महासचिव संतोष कुमार यादव ने किया। आयोजन को सफल बनाने में विभिन्न समितियों, पदाधिकारियों और बिलासा कला मंच के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

