-0.5 C
New York
Tuesday, December 16, 2025

Buy now

45 लाख का इलाज सिम्स ने किया मुफ्त,पहली बार चेहरे का टेढ़ापन दूर करने की सफल सर्जरी..

प्रदेश में पहली बार हुई कस्टमाइज्ड टीएम जॉइंट सर्जरी, 20 वर्षीय युवती को मिला नया जीवन।

डॉ. संदीप प्रकाश की टीम ने लिखा सफलता का नया अध्याय, प्रदेश के मेडिकल इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ ऑपरेशन।

 

बिलासपुर। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल (सिम्स) के दंत चिकित्सा विभाग ने चिकित्सा जगत में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां पहला ऐसा ऑपरेशन किया गया जिसमें जबड़े की गंभीर बीमारी और चेहरे के टेढ़ेपन का एक साथ इलाज कर मरीज को नई जिंदगी दी गई।

दरअसल, मरीज नीता कुमारी (बदला हुआ नाम) उम्र 20 वर्ष, बचपन में लगी चोट के कारण लंबे समय से दाएं जबड़े के अविकसित होने की समस्या से जूझ रही थी। जबड़े की खराबी के चलते उसका चेहरा असंतुलित हो गया, दांतों का विन्यास बिगड़ गया और मुंह खुलना तक मुश्किल हो गया। नतीजतन वह खाने-पीने में दिक्कत, सामाजिक उपेक्षा और हीनभावना का शिकार हो गई थी।

इलाज के लिए उसने रायपुर और कई बड़े अस्पतालों का रुख करने के बावजूद खर्च का बोझ इतना अधिक था कि परिजन निराश हो चुके थे। ऐसे में उसने सिम्स का दरवाजा खटखटाया। यहां विशेषज्ञों ने विस्तृत जांच और सीटी स्कैन व 3डी फेस प्रिंट के बाद पाया कि मरीज को राइट टीएम जॉइंट एंकाइलोसिस और फेसियल एसीमेट्री की समस्या है।

इलाज की प्रक्रिया लंबी और जटिल थी इसलिए सर्जरी तीन चरणों में की गई। पहले चरण में डिस्ट्रक्शन ऑस्टोजेनेसिस तकनीक से जबड़े की लंबाई बढ़ाई गई। इसके बाद चाबी को हटाया गया और अंतिम चरण में आर्टिफिशियल कस्टमाइज्ड टीएम जॉइंट लगाकर ऑर्थोग्नैथिक सर्जरी की गई,
इस प्रक्रिया के दौरान मरीज के ऊपर और नीचे के जबड़े को काटकर सीधा किया गया और चेहरा सामान्य स्थिति में लाया गया। इस तरह उसकी मुस्कान और आत्मविश्वास दोनों लौट आए।

यह तकनीक देश के बड़े निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध है और इसका खर्च लगभग 45 लाख रुपये होता, जबकि सिम्स ने इसे आयुष्मान कार्ड के तहत पूरी तरह निःशुल्क किया।

इस ऐतिहासिक सर्जरी का नेतृत्व दंत विभागाध्यक्ष एवं ओरल एंड मैक्सिलोफेसियल सर्जन डॉ. संदीप प्रकाश ने किया। उनकी टीम में डॉ. जंडेल सिंह ठाकुर, डॉ. केतकी कीनीकर, डॉ. हेमलता राजमणि, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल सहित कई विशेषज्ञ डॉक्टर और स्टाफ शामिल रहे। रेडियो-डायग्नोसिस और एनेस्थीसिया विभाग ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया।

सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति और अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि संस्थान गरीब और जरूरतमंद मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

Home
Contact
Wtsp
Search