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Tuesday, December 16, 2025

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आईपीएस डॉ. संतोष सिंह की किताब का हुआ प्रकाशन, संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों पर आधारित शोधग्रंथ..

दिल्ली के मानक पब्लिकेशन से प्रकाशित पुस्तक में Peace Keeping, Peace Making और Peace Building जैसे यूएन के प्रयासों का गहन विश्लेषण।

डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और डीजीपी अरुण देव गौतम को भेंट की पुस्तक।

रायपुर। पुलिस मुख्यालय में डीआईजी (CCTNS/एससीआरबी) के रूप में पदस्थ आईपीएस डॉ. संतोष सिंह की नई पुस्तक का प्रकाशन दिल्ली के प्रतिष्ठित मानक पब्लिकेशन द्वारा किया गया है। यह पुस्तक संयुक्त राष्ट्र के शांति सुदृढ़ीकरण (Peace Building) पर केंद्रित है और शीत युद्ध के बाद की वैश्विक राजनीति में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का गहराई से विश्लेषण करती है।

डॉ. सिंह ने इस अवसर पर अपनी पुस्तक की प्रति मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और डीजीपी अरुण देव गौतम को सौंपकर सम्मानित किया।

यह शोधग्रंथ संयुक्त राष्ट्र के Peace Keeping, Peace Making और Peace Building जैसे बहुआयामी प्रयासों की गंभीर समीक्षा प्रस्तुत करता है। पुस्तक में हिंसाग्रस्त देशों में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए बनाए गए यूएन पीसबिल्डिंग कमीशन के कार्यों, नीतियों और उनके वास्तविक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

डॉ. सिंह का यह कार्य न केवल शोधार्थियों, विदेश नीति विशेषज्ञों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि प्रशासनिक और नीति निर्धारण क्षेत्र में भी एक अहम दस्तावेज के रूप में देखा जा रहा है।

भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में अग्रणी देशों में शामिल है। वर्ष 1950 से अब तक भारत ने 49 यूएन मिशनों में भाग लेते हुए लगभग दो लाख शांतिसैनिकों को भेजा है। भारतीय पुलिस और सैन्य अधिकारी इन मिशनों में उल्लेखनीय भूमिका निभाते रहे हैं।

गौरतलब है कि डॉ. संतोष सिंह ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग से पीएचडी, जेएनयू, नई दिल्ली से एम.फिल. (अंतरराष्ट्रीय संबंध) तथा बीएचयू, वाराणसी से एम.ए. (राजनीतिशास्त्र) की डिग्रियां प्राप्त की हैं। उनका एम.फिल. शोध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों की भागीदारी पर आधारित था। उनके अनेक शोधपत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

यह पुस्तक न केवल संयुक्त राष्ट्र की नीतिगत संरचना को समझने में मदद करती है, बल्कि शांति स्थापना के व्यावहारिक आयामों को भी उजागर करती है, जो आधुनिक विश्व की चुनौतियों को समझने में सहायक है।

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