बिलासपुर। भारत की अग्रणी ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी अपने किफायती राखड़-आधारित “ईको-हाउस” के लॉन्च के साथ देशभर में ग्रामीण आवास को क्रांतिकारी रूप से बदलने के लिए तैयार है| नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित आईआईटीएफ 2024 में इस घर को मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद, एनटीपीसी ने इन नवोन्मेषी राखड़-आधारित घरों को आम जनता के लिए खरीद हेतु उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
10 जून 2025 को बिलासपुर के सीपत निवासी कृष्ण यादव को को इस प्रकार का पहला इको-हाउस औपचारिक रूप से सौंपा गया। जो सतत जीवनशैली और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है| इस अवसर पर प्रदीप्त कुमार मिश्रा, क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (पश्चिम क्षेत्र-II एवं राखड़ – नई पहल), अजय कुमार शुक्ला, कार्यकारी निदेशक (राखड़ – नई पहल), विजय कृष्ण पांडेय, परियोजना प्रमुख (एनटीपीसी सीपत), सहित एनटीपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
इको-हाउस की संकल्पना एनटीपीसी की शून्य-कार्बन उत्सर्जन और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता से उत्पन्न हुई है। इसमें एनटीपीसी के विद्युत संयंत्रों से प्राप्त 80% राखड़ एवं राखड़-आधारित उत्पादों का उपयोग किया गया है। यह अभिनव पहल न केवल अपशिष्ट प्रबंधन
की बड़ी चुनौती का समाधान है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सामग्री को भी बढ़ावा देती है। इस नवाचार का मूल आधार है एनटीपीसी द्वारा विकसित की गई मजबूत इंटरलॉकिंग वॉल ब्लॉक्स तकनीक, जो रेत, सीमेंट, स्टील, रिइन्फोर्समेंट, प्लास्टर, पुट्टी और गारे की आवश्यकता के बिना ही सटीक रूप से जुड़कर उत्कृष्ट संरचनात्मक मजबूती प्रदान करती है, जिससे लागत और निर्माण समय दोनों में काफी कमी आती है।
इको-हाउस न केवल लागत और समय की दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि इसके पर्यावरणीय लाभ भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पारंपरिक घरों की तुलना में इसमें लगभग 75% तक कम कार्बन उत्सर्जन होता है। इसकी मजबूती को NIT रायपुर एवं छत्तीसगढ़ की सक्षम प्राधिकृति द्वारा प्रमाणित किया गया है। यह घर दो वर्षों से अधिक समय से विभिन्न मौसम स्थितियों — वर्षा, तूफान और तेज़ हवाओं — को सहन कर चुका है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि इसे आसानी से तोड़कर दोबारा खड़ा किया जा सकता है, वह भी न्यूनतम नुकसान या क्षति के साथ, जिससे यह भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार लचीलापन भी प्रदान करता है।
एनटीपीसी की दृष्टि इस एकल विक्रय से कहीं आगे तक जाती है। कंपनी की योजना है कि इन राखड -आधारित घरों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर देशभर में उपलब्ध करवाया जाए। यह पहल भारत के ग्रामीण आवास परिदृश्य के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है
— यह सस्ता, टिकाऊ और तेजी से तैयार होने वाला समाधान है, जो न केवल आम जनों का घर बनाने का सपना साकार करता है, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण के लक्ष्य को भी सशक्त रूप से आगे बढ़ाता है। जब इन्हें सौर रूफटॉप से जोड़कर ग्रिड से जोड़ा जाएगा, तब ये इको-हाउस ग्रामीण समुदायों के लिए सचमुच एक हरित और सतत भविष्य की ओर अग्रसर होंगे।
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