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Saturday, June 14, 2025

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गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में गूंजा नारी सशक्तिकरण का स्वर, यौन उत्पीड़न और साइबर सुरक्षा पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम..

बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र और राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली के संयुक्त प्रयास से यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम और साइबर सुरक्षा जैसे अत्यंत जरूरी विषयों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें समाज में महिलाओं की भूमिका उनके अधिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर सार्थक संवाद हुआ।

कार्यक्रम की गरिमामयी मुख्य अतिथि बिलासपुर की महापौर पूजा विधानी रहीं जिन्होंने अपने संवेदनशील और विचारशील संबोधन में इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की भागदौड़ भरी दुनिया में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देना सिर्फ आवश्यकता नहीं बल्कि हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी है उन्होंने कहा कि जब महिलाएं निर्भीक होकर आगे बढ़ेंगी तभी समाज वास्तव में प्रगति करेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने मातृशक्ति को सम्मान देते हुए कहा कि महिलाएं न सिर्फ संघर्षशील हैं बल्कि उनमें करुणा और धैर्य का विलक्षण मेल है उन्होंने यह भी कहा कि समाज को महिलाओं के समर्पण और संवेदनशीलता से प्रेरणा लेकर एक बेहतर भविष्य की नींव रखनी चाहिए।

राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से उपस्थित राम अवतार सिंह पीपीएस ने आयोग की अध्यक्षा का संदेश सभा को सुनाया और विश्वविद्यालय द्वारा महिलाओं के लिए सृजित किए जा रहे सकारात्मक और सुरक्षित वातावरण की सराहना की उन्होंने कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल के नेतृत्व में चल रहे प्रयासों की खुले दिल से प्रशंसा की।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक स्वागत के साथ हुई जहां अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया महिला अध्ययन केंद्र की प्रभारी निदेशक डॉ अर्चना यादव ने विषय प्रवर्तन करते हुए महिलाओं की डिजिटल सुरक्षा और कानूनी अधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला जबकि स्वागत भाषण छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार ने दिया कार्यक्रम का संचालन डॉ शालिनी मेनन ने प्रभावी ढंग से किया और समापन पर कुलसचिव एच एन चौबे ने उपस्थित जनों के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर राज्य महिला आयोग के सदस्य विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठाता विभागाध्यक्ष शिक्षकगण अधिकारीगण और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में मौजूद रहे जिन्होंने पूरे कार्यक्रम में न केवल सहभागिता निभाई बल्कि महिलाओं के अधिकारों की गूंज को और बुलंद किया।

यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक संदेश था “कि जब शिक्षा संस्थान जागरूकता की मशाल उठाते हैं तब समाज बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाता है और जब मंच पर नारी गरिमा की बात होती है तब भविष्य सचमुच रोशन नजर आता है।

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